पिछले एपिसोड के अंत में वंश, डोरी को धक्का मार कर आगे निकल जाता है और वहीं दूसरी ओर आनंद जल्दी के चक्कर गंगा प्रसाद को गाड़ी के सामने आने पर टक्कर मार देता है।
Doree Episode 4 Review: डोरी और वंश का झगड़ा

डोरी सीरियल के तीसरे एपिसोड की बात करें तो बाल दौड़ प्रतियोगिता में वंश, डोरी को धक्का मार कर आगे निकल जाता है और सबसे पहले पहुंच कर प्रथम स्थान प्राप्त करता है, वहीं डोरी गिरने के बाद फिर से उठती है और दौड़ कर पहले दौड़ पूरी करती है और फिर वंश को धक्का मार कर गिरा देती है।
डोरी, वंश से बहुत गुस्सा हो जाती है और इसको बेइमानी से जीता हुआ बताती है, और वंश के साथ खूब लड़ाई करती है। वंश बेइमानी करने के बाद भी चुप नही होता है और डोरी के साथ झगड़ा करने लगता है।
प्रतियोगिता करने वाले लोग वंश के चाचा को वंश को यहां से ले जाने की बात करते है, क्युकी वहां शहर की जनता भी होती है और वह लोग नही चाहते थे की बात बड़े और वहां की जनता डोरी के पक्ष में आ जाए।
संचालक, वंश को तुरंत विजेता घोषित कर देते है, लेकिन कोई भी डोरी की बात नहीं सुनता है। सभी लोग वंश की दादी को जानते थे और उनकी धमक के चलते प्रतियोगिता करवाने वाले वोलेंटियर डोरी को ही चुप रहने को कहते है।
डोरी का दोस्त सत्तू समझदारी दिखाते हुए डोरी को शांत करता है और उसे समझता है की दूसरे स्थान पर चार हजार रुपए इनाम है। झगड़ने का कोई फायदा नही है, वह चार हजार रुपए देकर अपने पापा की मशीन नीलू आंटी से ला सकती है। डोरी, सत्तू की बात को मान लेती है और चार हजार ले लेती है।
इधर, गंगा प्रसाद को कुछ लोग घर पर लाते है। गंगा प्रसाद की नानी गंगा को देखते ही घबरा जाती है, लेकिन लोग उनको समझाते है की घबराने की जरूरत नहीं है, डॉक्टर ने इंजेक्शन और दवा पट्टी कर दी है। थोड़ा बुखार है इसलिए गंगा को आराम करने की जरूरत है।
यहां कैलाशी देवी अपने बेटे आनंद के साथ अपने ऑफिस “सौलह सिंगार” पहुंचती है और वहां पर पहले से इंतजार कर रहे शुक्ला जी से मुलाकात करती है। “शुक्ला जी” एक एजेंट के तौर पर काम करते है जो कैलाशी देवी की कंपनी को कपड़ो के कॉन्ट्रैक्ट दिलवाते है।
शुक्ला जी, एक विदेशी इन्वेस्टर से कैलाशी देवी की वीडियो कांफ्रेंसिंग करवाते है जहां आनंद उनको अपने कंपनी में बनी साड़ीयों के सैंपल दिखाता है, लेकिन इन्वेस्टर्स को उनके प्रोडक्ट पसंद नही आते है और वो ये डील करने से मना कर देते है।
शुक्ला जी कैलाशी देवी को केवल एक दिन का समय देते है और साथ में एक सलाह देते है की “समय के साथ बदलना चाहिए नहीं तो समय आपको धक्का देकर बगल से निकल जाता है”, जो कैलाशी देवी को पसंद नही आती है और वो कहती है की उनके एक दिन में काफी है डिजाइन बदलने के लिए।
शुक्ला जी के जाने के बाद कैलाशी देवी अपने बेटे आनंद को बहुत ही बुरी तरह सुनाती है की उसकी वजह से हमारा बिजनेस खराब हो रहा है, उसे साड़ीयों के डिजाइन के साथ साथ साड़ीयों की क्वालिटी के बारे में भी पता नहीं है।
कैलाशी देवी उस साड़ी में से एक धागा निकालती है और अपने मुनीम बंशी लाल को उसे जलाने को कहती है। कैलाशी देवी दोनो को दिखाती है की ये धागा अगर असली सिल्क का होता तो जल कर राख हो जाता, प्लास्टिक की तरह सिकुड़ता नही। कैलाशी देवी अपने मुनीम को भी बुरी तरह से फटकारती है की उसकी दो पीढ़ी सोलह सिंगार के साथ काम कर रही है, लेकिन उसने उनसे कुछ नही सीखा।
कैलाशी देवी कहती है की “संस्कार की रीति और व्यापार की नीति पुरानी ही अच्छी होती है, नए के चक्कर में फसोंगे तो बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा”। आनंद के ऑफिस में लगे पेंटिंग को देख कर कहती है, की सूरज की पेंटिंग लगाने से सफलता नहीं मिलती है, सफल होने के लिए सूरज उगने से पहले उठना पड़ता है।
वो आनंद को बोलती है की उसे 24 घंटे के अंदर एक ऐसा डिजाइन चाहिए की वह शुक्ला हमारे ऑफिस में आकर कॉन्ट्रैक्ट देने की मिन्नतें करें और हम उसे वह कॉन्ट्रैक्ट भीख में दे।
तभी कैलाशी देवी का पोता वंश वहां आता है और अपनी जीत के बारे में बताता है की वह पहले नंबर पर आया और यह भी बताया की कैसे उसने एक लड़की को हराया। इस पर कैलाशी देवी फिर से लड़कियों को कमतर बताती है और हंसी उड़ाती है।
डोरी अपने दोस्त सत्तू के साथ पापा की सिलाई मशीन लेकर अपने घर जाती है और अपने पापा को सरप्राइज़ देने की तैयारी करती है, लेकिन उसकी नानी डोरी को घर के दरवाजे पर ही रोक लेती है, और डोरी की कहती है की वो गंगा के जीवन का श्राप है, उसने पहले ही गंगा की खुशी छीन ली है, क्या अब वो उसकी जान भी लेगी।
डोरी मासूमियत से कहती है की एक बार उसे उसके पापा से मिलने दे, उसके मिलते ही उसके पापा ठीक हो जाएंगे। लेकिन नानी डोरी को इसके पापा से मिलने नहीं देती है और डोरी को धक्का मारकर घर से बाहर निकाल देती है।
डोरी नानी को कहती है की वो अब कोई खर्च नही करवाएगी बस उसे उसके पापा के साथ मिलने दे। नानी डोरी की कोई बात नही सुनती, साथ ही नानी डोरी को सब बता देती है की वो अनाथ है और गंगा उसे नदी के पास से उठा कर पाया था।
नानी डोरी को कहती है की अगर वो चाहती है की इसके पापा जिंदा रहे तो वो कभी यहां लौट कर नहीं आए। डोरी बहुत जोर जोर से रोने लगती है और कहती है की वो चली जायेगी बस एक बार उसे उसके पापा से मिलने दे। नानी डोरी को मना कर देती है की वो अब उसकी परछाई गंगा पर नहीं पड़ने देगी।
डोरी रोने हुए वहां से भागती है और संकटा माता के मंदिर में जाकर रोने लगती है। डोरी वहां जाकर अपनी नानी की कही गई बातें याद करते हुए बहुत रोती है और अपने पापा की फिक्र करती है।
गंगा प्रसाद बेहोशी की हालत में डोरी को याद करता हुआ कहता है की वो डोरी के लिए गुलाबी चप्पलें लाया है, अब उसके पांव सुन से नहीं जलेंगे। यहीं पर डोरी सीरियल का 4th एपिसोड खत्म होता है।
दोस्तों, क्या नानी डोरी को अपने घर में आने देगी? क्या कैलाशी देवी 24 घंटों में ऐसा डिजाइन तैयार कर सकेगी जिसके दम पर वह कॉन्ट्रैक्ट हासिल कर सके।
जानने के लिए हमारे चैनल पर डोरी सीरियल का अगला 5th एपिसोड देखना न भूलें और साथ ही लेटेस्ट अपडेट्स के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें।